www.yuvasamvad.org

CURRENT ISSUE | ARCHIVE | SUBSCRIBE | ADVERTISE | CONTACT

सम्पादकीय एवं प्रबन्ध कार्यालय

167 ए/जी.एच-2

पश्चिम विहार, नई दिल्ली-110063

फोन - + 91- 7303608800

ई-मेल – ysamvad[~at] gmail.com

मुख्य पृष्ठ  *  पिछले संस्करण  *  परिचय  *  संपादक की पसंद

सदस्यता लें  *  आपके सुझाव

मुख्य पृष्ठ  *  पिछले संस्करण  *  परिचय  *  संपादक की पसंद  *  सदस्यता लें  *  आपके सुझाव

विकट आर्थिक संकट में फंसा देश!

युवा संवाद - नवम्बर 2019 अंक में प्रकाशित

देश किस कदर आर्थिक संकट से जूझ रहा है यह आपको गोदी मीडिया बिल्कुल नहीं बताएगा! गलत आर्थिक नीतियों और बिना सोचे समझे गए निर्णय के कारण हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं। देश का रेवेन्यू कलेक्शन घटता ही जा रहा है और इस कारण से सरकार के पास अब अपने कर्मचारियों को वेतन भत्ते पेंशन आदि तक देने की समस्या खड़ी हो गयी हैं। एक बार पढ़ लीजिए कि हालात कितने खराब हो चुके हैं ये ऐसी खबरें हैं जो राष्ट्रवाद, पाकिस्तान और हिन्दू मुस्लिम की बहस में काफी नीचे दबा दी गयी हैं।

 

खबर आयी थी सैलरी संकट से बुरी तरह जूझ रहे BSNL और MTNL कर्मचारियों की इस साल दिवाली काली बीती। 22 हजार एमटीएनएल कर्मचारियों को पिछले दो महीने (अगस्त व सितंबर, 2019) से वेतन नहीं मिला है, वहीं 1.58 लाख बीएसएनएल कर्मचारियों को पिछले माह तनख्वाह नहीं मिल पाई है।

 

रेलवे के पास वेतन देने को पैसा नहीं है इस कारण वह तीन लाख कर्मचारियों की छंटनी करने जा रहा है। रेल मंत्रालय ने वेतन पर लगने वाला भारी-भरकम खर्च घटाने के लिए अपनी ‘नॉन कोर’ गतिविधियों को आउटसोर्स करने की तैयारी कर ली है। दैनिक जागरण के मुताबिक इसके तहत विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की जरूरत का आंकलन किया जा रहा है।

 

एयर इंडिया के पास अक्टूबर के बाद सैलरी देने का पैसा नहीं बचा है। खबर आई है कि पायलट अपनी सैलरी और प्रमोशन से बेहद नाराज चल रहे हैं। इसके चलते करीब 120 पायलटों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है।

 

कोल इंडिया एवं अनुषांगी कंपनियों में कभी सात लाख से अधिक कामगार हुआ करते थे। अब आंकड़ा चार लाख से कम होने को है। बावजूद इसके कोल इंडिया में मैनपावर अभी भी जरूरत से ज्यादा है। यह कोल इंडिया कि विजन रिपेार्ट एवं एचआर पॉलिसी में है। विजन 2020 में स्पष्ट है कि अधिकारी और स्टेच्यूटरी पोस्ट यानी माइनिंग सरदार, ओवरमैन, सर्वेयर जैसे पदों पर ही बहाली होगी। लेकिन वहाँ भर्ती नहीं की जा रही है बल्कि छंटनी की प्रक्रिया बड़े पैमाने पर जारी है।

 

सेना और अर्धसैनिक बलों को मोदी सरकार बहुत सुविधा देने की बात करती है लेकिन असलियत यह है कि सीआरपीएफ कर्मियों के राशन भत्ते पर सरकार की कैंची चली है। सरकार की ओर से एक सूचना जारी कर कहा गया है कि सितम्बर में मंथली सैलरी में मिलने वाला उनका राशन अलाऊंस नहीं मिलेगा। सी.आर.पी.एफ. कर्मी हर महीने 3,000 रुपए के इस भत्ते का इस्तेमाल कैंटीन और मैस से खाना खरीदने में करते हैं।

 

विगत दिनों हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लगभग 20,000 कर्मियों ने वेतन में संशोधन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी थी।

कुछ दिन पहले सेना के लिए साजो-सामान का निर्माण करने वाली पुणे स्थित तीन बड़ी कंपनियों ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इन कंपनियों के तकरीबन सात हजार कर्मचारी आर्डिनेंस बोर्ड में मोदी सरकार के ‘कार्पोरेटाइजेशन’ के फैसले के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल पर बैठ गए हैं। इन कंपनियों के अलावा पिछले दिनों देशभर की 41 आर्डिनेंस फैक्ट्रियों के करीब 82000 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे।

 

चन्द्रयान की बात करने वाली सरकार इसरो के वैज्ञानिकों की सैलरी काट रही है। केंद्र सरकार ने 12 जून 2019 को जारी एक आदेश में कहा है कि इसरो वैज्ञानिकों को 1996 से दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि के रूप में मिल रही प्रोत्साहन राशि अब नहीं मिलेगी।

 

इंडिया पोस्ट यानी डाक विभाग की हालत तो बीएसएनएल और एयर इंडिया से भी खराब होने को है। वित्त वर्ष 2019 में इंडिया पोस्ट के रेवेन्यू और खर्च के बीच का अंतर 15,000 करोड़ रुपए के स्तर तक पहुंच गया। इंडिया पोस्ट में 4.33 लाख इम्प्लाइज की वर्कफोर्स काम करती है 1.56 लाख पोस्ट ऑफिसेस के नेटवर्क हैं उन्हें भी जल्द वेतन से संबंधित समस्याएं झेलना पड़ सकती है।

 

भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में नकदी संकट इतना गहरा गया है कि नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को भुगतान किए जाने वाले लीव एनकैशमेंट को स्थगित कर दिया है। वहीं, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ने पिछले 2-3 साल से लीव एनकैशमेंट पर रोक लगा रखी है।

 

देश की 10 सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों के कुल कर्ज में गत पांच साल में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उनका कुल कर्ज मार्च 2014 में 4.38 लाख करोड़ रुपए था, जो मार्च 2019 में बढ़कर 6.15 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है इसलिए अब इन्हें बेचने की नौबत आ गयी है।

 

समझिए कि संकट कितना गहराता जा रहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने वित्त मंत्रालय से 9,100 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया चुकाने का अनुरोध किया है यह राशि केंद्र सरकार की पेंशन योजनाओं के अंतर्गत बकाया है। ईपीएफओ ने वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखकर यह मांग की है यानी पेंशन देने को भी पैसे की उपलब्धता अब मुश्किल में पड़ गयी है।

 

मोदी सरकार अब सभी मंत्रालयों और विभागों से हर महीने ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट मांगने जा रही हैं जिन्हें समय से पहले रिटायर किया जा सकता है।