www.yuvasamvad.org
CURRENT ISSUE | ARCHIVE | SUBSCRIBE | ADVERTISE | CONTACT
सम्पादकीय एवं प्रबन्ध कार्यालय
167 ए/जी.एच-2
पश्चिम विहार, नई दिल्ली-110063
फोन - + 91- 7303608800
ई-मेल – ysamvad[~at] gmail.com
न्यायमूर्तियों की गुहार: विभ्रम और यथार्थ
युवा संवाद - फरवरी 2018 अंक में प्रकाशित
प्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायमूर्तियों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध खुली बगावत करके यह संकेत दे दिया है कि देश के संविधान की रक्षा करने वाली सबसे विश्वसनीय संस्था में कुछ ज्यादा ही गड़बड़ है। अगर ऐसा न होता तो देश की एक सर्वाधिक शक्तिशाली संस्था से जुड़े न्यायमूर्ति जस्टिस चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ
अपना...
यह जो बिहार है : लेकिन बिहार बदल तो नहीं रहा! — डाॅ. योगेंद्र
अभिव्यक्ति : गौरी लंकेश की वैचारिक विरासत — सिद्धार्थ
पत्रकारिता : निशाने पर लोकतंत्र का चैथा... — जावेद अनीस
संकट में किसान : देश के किसानों का सबसे बुरा... — पी. साईंनाथ
दलित विद्रोह : सीमाएं और संभावनाएँ — सुभाष गाताडे
दलित चेतना : सुनो मेरा भी इतिहास! — अनिल चमड़िया
दलित चेतना : महार-पेशवा संघर्ष — प्रो. आनंद तेलतुम्बडे
प्रदूषण : स्माॅग का फैलता खतरा — कुलभूषण उपमन्यु
जल संरक्षण : तालाबों की लोक परंपरा — पंकज चतुर्वेदी
जल प्रबन्धन : खेती के लिए भूजल पर प्रतिबंध? — अरुण तिवारी
प्रदूषण : समुद्र में प्लास्टिक कचरा — राजकुमार कुम्भज
शहरी कचरा : शहरी कचरे की समस्या — डाॅ. किशोर पंवार
शहरी कचरा : निस्तारण का समाधान — कुलभूषण उपमन्यु
स्कूल : हक और सवाल उठाने की... — प्रमोद दीक्षित ‘मलय’
मानवाधिकार : मर रही मानवीय संवदेना — कुमार कृष्णन
नदी : ब्रह्मपुत्र मसले पर संजीदगी... — अरुण तिवारी
कहानी : उसकी माँ — पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’
बेबाक : गुजरात चुनाव का आंखों देखा... — सहीराम