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अंक के प्रमुख आकर्षण

सितंबर 2016

संपादकीय

रियो ओलंपिक के सबक

युवा संवाद - सितंबर 2016 अंक में प्रकाशित

 

रियो ओलंपिक के बाद इसमें हिस्सा लेने वाले तमाम देश अपनी उपलब्धियों का मूल्यांकन करें और तोक्यो में होने वाले अगले ओलंपिक की तैयारियों में व्यस्त हो जाएंगे। भारत से गये खिलाड़ियों का प्रदर्शन बहुत संतोषजनक नहीं रहा। बैडमिंटन में पीवी सिंधू ने रजत और कुश्ती में सा{ाी मलिक ने कांस्य पदक दिलाया, यानी इस बार भारत को महज दो पदकों से संतोष करना पड़ा। यह पिछले ओलंपिक ...

 

आगे पढ़े...

यह जो बिहार है : तथाकथित विकास की कीमत — योगेंद्र

                      : एक आम कश्मीरी का दर्द निदा — नवाज़

कश्मीर : कश्मीर समस्या और धारा 370 — निदा नवाज

नस्लीय हिंसा : कोकराझार से कश्मीर: शांति... — राधा भट्ट

कश्मीर : यह ‘वो’ कश्मीर तो नहीं — अशोक कुमार पाण्डेय

           : कृषि पर बेढंगी चाल — मार्टिन खोर

रिपोर्ट : गैरजिम्मेदार युद्ध में पिसते छत्तीसगढ़ के आदिवासी

                 — संजय पराते, विनीत तिवारी, अर्चना प्रसाद, नंदिनी सुंदर

जल समस्या : स्थानीयता ही है समाधान — एस. जी. वोंबाट्कर

वैश्वीकरण : भारत : उदारीकरण का शिकार —  चिन्मय मिश्र

पर्यटन : ‘तीर्थाटन और पर्यटन-1 —  अनुपम मिश्र

जलवायु परिवर्तन : दूसरों की गलती का खामियाजा

                                        —  सिमोन अल्बर्ट एवं साथी

शिक्षा : मानवीय मूल्यों का विकास —  नीमा वैष्णव

फासीवाद : राष्ट्रीय होने का क्या मतलब है? —  प्रभात पटनायक

एफडीआई : हर सवाल का जवाब नहीं है...  — देविंदर शर्मा

इन दिनों : श्री रविशंकर बनाम मलाला —  युवा संवाद ब्यूरो

न्याय व्यवस्था : क्या आंसू बन पाएंगे मोती? —  चिन्मय मिश्र

पर्यावरण संकट : वीरान करते राजपथ —  भारत डोगरा

बेबाक : जैसी गौभक्ति वैसा ही दलितप्रेम —  सहीराम